परमेश्वर समय से पार है।।

ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਅਕਾਲੇ ॥ ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਕ੍ਰਿਪਾਲੇ ॥
नमसत्वं अकाले ॥ नमसत्वं क्रिपाले ॥
हे काल से रहित प्रभु हमारा तुम को नमस्कार है अर्थात वह परमेश्वर समय से पार है और समय का उस पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता वह हमेशा ही दयालु है हमारा उसकी दयालुता को नमस्कार है वह हमेशा ही जीवन पर दयाल रहता है और अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखता है

ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਅਰੂਪੇ ॥ ਨਮਸਤ੍ਵੰ ਅਨੂਪੇ ॥੨॥
नमसत्वं अरूपे ॥ नमसत्वं अनूपे ॥२॥
हे प्रभु हमारा तुम को नमस्कार है क्योंकि तुम रूप के बंधन से मुक्त हो संसारी रूप जैसा तुम्हारा कोई भी रूप नहीं है तुम्हारी उपमा बहुत अनूप है अनूप से भाव तुम्हारे जैसा और कोई भी नहीं इसलिए हमारा तुम को नमस्कार है

ਨਮਸਤੰ ਅਭੇਖੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਲੇਖੇ ॥
नमसतं अभेखे ॥ नमसतं अलेखे ॥
हे प्रभु तुम किसी भी भेख से  रहत हो अर्थात तुम्हारी कोई भी वेशभूषा नहीं है तुम किसी भी संसारी रूप से अलग हो तुम्हारा कोई भी लिखा नहीं है अथा तुम मालिक हो अर्थात तुमको लिखा नहीं जा सकता किसी भी अक्षरों में तुम को बंद नहीं किया जा सकता अक्षरों में तो केवल तुम्हारा ज्ञान ही दिया जा सकता है
ਨਮਸਤੰ ਅਕਾਏ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਜਾਏ ॥੩॥
नमसतं अकाए ॥ नमसतं अजाए ॥३॥
हे परमेश्वर हमारा तुम को नमस्कार है क्योंकि तुम को जन्म देकर किसी भी देह में नहीं डाला जा सकता क्योंकि तुम जन्म और मृत्यु से रहत हो और तुम हमेशा ही  के किसी मां के पेट से जन्म नहीं लेते हो

ਨਮਸਤੰ ਅਗੰਜੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਭੰਜੇ ॥
नमसतं अगंजे ॥ नमसतं अभंजे ॥
इसका अर्थ यह है कि तुम को अपने ज्ञान की संभाल के लिए किसी भी संभाल सहारे जा संभाल की जरूरत नहीं है तुम खुद ही सर्वशक्तिमान हो तुम्हारे ज्ञान जब तुम्हारी किसी भी सामग्री जा इस पूरी सृष्टि को संभालने के लिए तुम खुद ही सम्राट हो अकाश तुम्हारी देह है आकाश को को कोई कौन बंद कर कर रखा जा सकता है अब अभांजे का अर्थ होता है जिसको तोडा ना जा सके जय जैसे आकाश सूक्ष्म है उसको कोई तोड़ नहीं सकता इसी प्रकार परमेश्वर को भी कोई शक्ति तोड़ नहीं सकती क्योंकि वह सूक्ष्म है इसलिए वह अभांज है हम तुम्हारे इन सभी रुपों को नमस्कार करते हैं

ਨਮਸਤੰ ਅਨਾਮੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਠਾਮੇ ॥੪॥
अनामिका अर्थ है कि तुम्हारा कोई भी नाम नहीं है संसार में जितने भी नाम परमेश्वर के हैं वह सब गुणवाचक नाम है पर उसका कोई भी नाम नहीं क्योंकि नाम संसारी भाषा में होता है जो कि माया में ही होती है इसलिए ऐसा तुम्हारा कोई भी नाम नहीं  उसका कोई खास घर भी नहीं है जैसे हिंदू कहते हैं कि कैलाश पर्वत पर शिव रहता है और मुसलमान कहते हैं कि मक्का खुदा का घर है यह सब बातें अज्ञानता की बातें हैं क्यूंकि परमेश्वर सर्वव्यापी है और उसकी इच्छा शक्ति ही सर्वव्यापी है सर्वव्यापी होने के कारण सारी ही सृष्टि परमेश्वर के अंदर ही है कोई भी चीज उस से बाहर नहीं है

ਨਮਸਤੰ ਅਕਰਮੰ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਧਰਮੰ ॥
नमसतं अकरमं ॥ नमसतं अधरमं ॥
जब तुम्हारा कोई शरीर ही नहीं तो तुम्हारा कोई शरीर वाला काम भी नहीं वह कर्म हमसे ही करवाता है पर खुद कुछ नहीं करता इसलिए तुम अकरम हो अर्थात संसारी देकर मच ऐसा तुम्हारा काम नहीं है क्योंकि तुम्हारा कोई ऐसा शरीर ही नहीं है अर्थात तुम्हारा कोई धर्म भी नहीं है क्योंकि धर्म की उसी को जरुरत है जिसके पास अभी सच्चाई नहीं है क्योंकि तुम्हारे पास सच्ची मत है इसीलिए तुम्हें किसी भी संसारी धर्म की जरूरत ही नहीं वह किसी भी धर्म के साथ संबंधित नहीं जैसे कि मुसलमान कहते हैं कि खुदा इस्लाम कबूल करेगा या हिंदू कहते हैं कि हिंदू धर्म को इसाई कहते हैं इसाई धर्म को यह सब बातों से परे परमेश्वर खुदा है क्योंकि धर्म संसार में ही होते हैं निराकार के देश में कोई धर्म नहीं है

ਨਮਸਤੰ ਅਨਾਮੰ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਧਾਮੰ ॥੫॥
नमसतं अनामं ॥ नमसतं अधामं ॥५॥
अर्थात वह नाम रहता है उसका कोई भी नाम नहीं सभी नामों को हमारे दिया द्वारा दिया गया है जैसे खुदा रही हूं करीम अल्लाह और परमेश्वर परमेश्वर का कोई खास काम नहीं कोई खास जगह नहीं है जहां पर वह रहता हो जैसे गोविंद धाम गंगा वगैरह

ਨਮਸਤੰ ਅਜੀਤੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਭੀਤੇ ॥
नमसतं अजीते ॥ नमसतं अभीते ॥
तुम सर्वशक्तिमान हो कोई भी संसारी शक्ति तुम को जीत नहीं सकती अर्थात कोई भी संसारी बुद्धि भी तुम पर आज नहीं कर सकतई।।

अभीते ।भीत दीवार दीवार को कहते हैं अर्थात तुम्हारे अंदर कोई भी झूठ की दीवार नहीं है अर्थात माया का कोई भी बंधन तुमने नहीं है जैसे हमारे शरीर में हवाले और शरीर का बंधन है उस चीज से हमारी जिंदगी चलती है मैं पर परमेश्वर का एहसास ही नहीं नहीं इसलिए उसको ऐसा बंधन भी नहीं

ਨਮਸਤੰ ਅਬਾਹੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਢਾਹੇ ॥੬॥
नमसतं अबाहे ॥ नमसतं अढाहे ॥६॥
हे प्रभु तुम्हारी कोई बाह नहीं है अर्थात तुम्हारी कोई बाजू नहीं है जैसे हिंदुओं ने विष्णु की चार बुझाएं दिखाई  यह सब तुम्हारे पास नहीं है तुम्हारा हुकुम ही तुम्हारा हाथ है तुम्हारी इच्छा शक्ति को ही तुम्हारी कृपा-दृष्टि रुपी हाथ कहां गया है कोई भी संसारी शक्ति तुम को मिटा  नहीं सकती
ਨਮਸਤੰ ਅਨੀਲੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਨਾਦੇ ॥
नमसतं अनीले ॥ नमसतं अनादे ॥
अनील गिनती से रहत।।आद अनील अनाद अनाहद।। आदि ग्रन्थ।
अर्थात सचखंड में भक्तों की गिनती कितनी है वह बताया नहीं जा सकता है वह अनील है जिसको गिना नहीं जा सकता। और अंडे का अर्थ होता है जिसका आदि यानी के आरंभ ना हो इसलिए परमेश्वर का कोई भी आज नहीं है तुम इसलिए भी अनाड़ी है क्योंकि तुम को किसी ने पैदा नहीं किया है सब कुछ तुमसे ही पैदा हुआ है इसलिए हमारा तुमको इन सभी रुपों को नमस्कार है
ਨਮਸਤੰ ਅਛੇਦੇ ॥ ਨਮਸਤੰ ਅਗਾਧੇ ॥੭॥
नमसतं अछेदे ॥ नमसतं अगाधे ॥७॥
अशी दे था तुम तुम्हारे अंदर कोई छेद नहीं किया जा सकता अर्थात तुम सत्य स्वरुप हो और सत्य को छेड़ा नहीं जा सकता संसार झूठ है और झूठ में इतनी ताकत नहीं कि वह सत्य स्वरूप परमेश्वर को छेद सके ।अगाधे का अर्थ है मनुष्य की बुद्धि से परे अर्थात मनुष्य की बुद्धि भी तुम को पूरा समझ नहीं सकते इसलिए हम तुम को नमस्कार करते हैं

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