भारत देश के अंदर के अलग अलग रीति रिवाज

संसार में लगभग हर तरह के कल्चर में पाप और पुण्य की अवधारणा रही है। संसार की हर तरह की विचारधारा पाप और पुण्य को मानती रही है। और इसी पाप और पुण्य की विचारधारा संसार के अनेक इलाकों में फैली हुई रही है। यह जरूरी नहीं कि संसार के किसी एक हिस्से में जो पाप माना जाता है वह पाप संसार के दूसरे हिस्से में भी माना जाता हो जैसे उदाहरण के लिए भारत के लोग शाकाहारी हैं पर आप देखते हैं कि बहुत सारे ऐसे लोग हैं ही मांस खाते हैं और पूरे विश्व में ऐसे लोग हैं जो मांस खाने को पाप नहीं मानते। इस हिसाब से देखा जाएगा तो पूरे विश्व में क्या सही है क्या गलत है इसकी अवधारणा उन सब के लिए अलग अलग हो जाती है ईसाई के लिए जो पाप नहीं है वह हिंदू के लिए पाप बन जाता है इसीलिए धर्म के नियम उसके कायदे कानून हर एक कल्चरल के हिसाब से लोगों के लिए अलग-अलग होते हैं
                                ठीक ऐसा ही है कि जैसे संसार में कई तरह के मनुष्य रहते हैं और हर एक इलाके का कपड़ा पहनने का तरीका बोलने चलने का तरीका भाषा और सब की रीति रिवाज भी अलग-अलग होते हैं ठीक उसी प्रकार से पाप और पुण्य की अवधारणा भी सभी इलाकों में अलग-अलग रही है भारत देश के अंदर भी पुराणों की विचारधारा रही है जिसके अंदर शरीर छोड़ने के बाद कई प्रकार के स्वर्ग नरक की कल्पनाएं बताई गई हैं और यही कल्पनाएं संसार के अलग-अलग इलाकों में भी पाई जाती रही हैं असल में जब मनुष्य पुरातन समय में जीवन और मृत्यु के भेद को पूरी तरह से समझ नहीं पाया तो ऐसा कुदरती ही था कि उसने अपनी ज्ञासा  शांत  करने के लिए कई तरह की कल्पनाओं का सहारा लिया और यह कल कल्पनाएं आगे बढ़ते बढ़ते कई तरह  का कल्चर और संस्कृति के रूप में आज हमारे सामने है।

संस्कृति कैसे बनी और इसे का मूल क्या है यह इसी बात पर निर्भर करता है कि उस इलाके की जलवायु वहां का मौसम और वहां पर जो धार्मिक लोगों की मान्यताएं रही वह कैसी बनती हैं ।और उनमें समय सारणी समय में क्या क्या बदलाव आते रहे हैं ।जैसे हम भारत के अंदर ही देखते हैं कि उत्तरी भारत में हमें बहुत सारा शाकाहार देखने को मिलता है पर जब हम दक्षिणी भारत की तरफ जाते हैं तब हमें वह सब लोग मांसाहारी दिखाई देते हैं। इसका मूल कारण ही यही है कि वहां पर उनका कल्चर किसी और तरीके से पनपा दिखाई देता है। और और उत्तरी भारत का कल्चर किसी और तरीके से पनपा दिखाई देता है ।यह आगे चलकर अलग-अलग संस्कृतियों और अलग-अलग रीति-रिवाजों में बट जाता है इसीलिए हम सबका  खान पान रहन सहन, और पूजा पद्धति के रूप में भी बहुत फर्क दिखाई देता है। जब हम एक देश से दूसरे देश की ओर यात्रा करते हैं तब यह फर्क और भी बढ़ जाता है और हमें एक पूरा ही अलग तरह का कल्चर और अलग तरह  के लोग दिखाई देते हैं

कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि भारत के अंदर भी अलग-अलग कल्चर पनपे हैं और ।एक जगह से लेकर दूसरी जगह तक जाते-जाते कल्चर और रहन-सहन खान-पान पूजा पद्धति उनका विश्वास और रीति रिवाज यह सब कुछ बदल जाता है इसीलिए हम इस बात को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत एक विभिन्न संस्कृतियों वाला देश है यहां की पूजा पद्धतियां अलग हैं और कई तरह के रीति रिवाज भी यहां पर प्रस्तुत है इसी महान देश के कारण बहुत सारे लोगों ने इसको अपना घर बनाया और यहां पर रहने चले आ गए ।इसलिए यहां पर बहुत सारी संस्कृति  पनपी ।आमतौर पर भारत देश एक फूलों की गुलदस्ते की तरह है जिसमें अलग-अलग किस्म के फूल  जड़े हुए हैं।

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